बताशे

बताशे
बताशे या कहें इसे गाठी, भले ही आज हज़ारों तरह की मिठाइयां बाज़ार में मिलती हो, पर बताशों की अपनी एक अलग जगह है. पुजा के थाल मे, बच्चे के गले के माल मे पिरोये ये शक्कर के गोल, कभी टेढ़े-मेढ़े बताशे त्योहारों में बेशक पाये जाते है. पुजा की थाली में सजे, आरती के बाद हाथों से बंटे बताशे जिनमें कपूर की भिनि-भिनि महक और राल का सौंधापन हो, उनका स्वाद ही अनूठा होता है. ये याद दिलाते हैं पुराने मुहल्ले के होली दहन की, छोटे शहरों के मंदिरों की, और हसते खेलते लडकपन की.
आज भले ही "Dalgona Candy" social media पर trend कर रही हो, पर गज़ब की बात है कि हमारे आंगन के बताशे और अंतरराष्ट्रीय स्तर की Dalgona Candy को बनाने की तरकीब एक सी ही है. शक्कर की ये मशहूर मिठाई जो घर-घर अब भी पाईं जाती है, हर छोटे बडे त्योहार और समारोह, चाहे वो सत्यनारायण कथा हो, होली हो या हो सुंदरकांड का पाठ, मे हक्क से मंगवाई जाती है. Dalgona Candy के तो कईं reels और videos देखें लेकिन बचपन से खाते आये बताशों को बनता पहली बार देखा है.
फर्क सिर्फ इतना है ये आम से बताशे बनाने वाले उत्पादक लघु उद्योगिक होते है. सालो से चली आ रही तकनीक मे कुछ खास बदलाव नहीं आया है. Dalgona Candy भले ही trend कर जाये पर अगली गुडी़ पाडवा पर गुडी़ इन गाठियों की लडो से ही सजेंगी, जिन्हें उन कारिगरों ने बनाया होगा जिन्हें ना कोई जानता है, ना trend करता है. वो तो मौसम दर मौसम, त्योहार दर त्योहार आपके शहर के सबसे भीडभाड वाले बाज़ार मे चंद दिनों के लिए दिखाई देते है और फिर गुम हो जाते है अगले त्योहार के इंतज़ार में.